गुरुवार, 31 मई 2007

मैं

गिरता हूँ , चलता हूँ
खुद को ही छलता हूँ ;
मंज़िल की तलाश में
राहें बदलता हूँ ।

झूठे सब रिश्ते हैं,
नातों में दीमक हैं,
जानबूझ कर क्यूं मैं
मकड़ जाल फ़सता हूँ...!
खुद को ही छलता हूँ ।

तन्हा-सा ये मन है
क्लांत-क्लांत ये तन है,
फिर भी मैं जाने क्यूं
सपने-से बुनता हूँ !!
खुद को ही छलता हूँ ।

अपना न साथी कोई
कोई आस बाक़ी नहीं
फिर भी मैं व्याकुल हो
किसकी राह तकता हूँ !!!
खुद को ही छलता हूँ ।

किरच-किरच टूटा मन
रेत-रेत ज्यूँ जीवन
नेह-बूँद हेतु क्यूं
मरुथल बिचरता हूँ!!!
खुद को ही छलता हूँ....!

याद

पतंग-सा चढ़ता गया
चांद आसमान पर,
ज्यूँ-ज्यूँ तनती रही ख्यालों की डोर;
चलती रही बयार रात भर
तुम्हारी गंध की, और
खड़कते रहे पात यादों के वन में;

अधूरी-सी बात
जो कह न सका ये कम्बख्त दिल
ओठों पर लरजती रही...

रह-रह कर चुभती रही
यही एक फाँस मन में:
'क्यूं होता है ऐसा,
कोई धंस जाता है
कहीं बहुत गहरे तक
जीवन में...?'

तुमसे दूर जा नहीं सकता

मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा दोस्तों...
ये ठण्डी हवाएं, ये मीठी छाँव, ये गुलमोहर
कहाँ पाऊंगा ...!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा दोस्तों...?

मुमकिन है ना याद रहे चेहरा तुम्हारा,
मुमकिन है भुला दो तुम नाम हमारा,
पर ये आवाज की लर्जिश, अनकहा-सा रिश्ता,
भूल ना पाऊंगा...!!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा...?

पैरों में लिपटी यादें ज्यूँ तेरी याद
लिपटी रहे मेरी रूह से,
वो नरमो-नाजुक से अहसास, वो लज्जत कहाँ से
लाऊंगा...!!!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा...?

ये हवा, ये छाँव, ये आवाज, ये अहसास कहाँ से
लाऊंगा...??
क्या कभी दूर जा भी पाऊंगा...???

About love...!!!


Love is an illusion worth living in...!!!

the dream begins..!!!


Hi all,
I'm Durgesh, the Dreamer. This blog is my attempt to share my dreams and visions and understand the meaning of all those things that are meant to be un-understandable...te meaning of life and death, what is the exact nature of truth and can we really perceive it living in an unreal world., what is friendship and what is love...to name a few.
Join me in my eternal quest...
All are welcome.
Durgesh