मंगलवार, 7 अगस्त 2012

भगवान, लोकतंत्र और दूध

आज मुझे इन्टरनेट पर मेरी लिखी एक कहानी की लिंक मिली. ये कहानी गणेश जी के दूध पीने की घटना को नेपथ्य में लेकर चलती है. मूल रूप से ये कहानी अप्रैल, २००८ में सृजनगाथा में प्रकाशित हुई थी. लिंक ये रही :

यहीं देखें:
भगवान, लोकतंत्र और दूध

सृजनगाथा पर देखें:
भगवान, लोकतंत्र और दूध

आप सबकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी...

शनिवार, 12 मई 2012

कल दिनांक 11 मई को मंटो का जन्मदिन था. जी हाँ, मैं महान अफसानानिगार सदाअत हसन मंटो की बात  रहा हूँ। 1912 में अविभाजित पंजाब के समराला गाँव में उनका जन्म हुआ था. कल अखबार में देखा तो मिला की उनके गाँव में बस एक छोटा-सा पुस्तकालय उनके नाम पर बना है. एक कमरे के इस पुस्तकालय में कुल जमा दो पुस्तकें हैं मंटो साहब की...! वाह रे भारत! जनता के पैसे से नेता लोग अपने स्मारक और बुत तो 
बनवा सकते हैं पर एक लेखक का और क्या हस्र हो सकता है...?