कल दिनांक 11 मई को मंटो का जन्मदिन था. जी हाँ, मैं महान अफसानानिगार सदाअत हसन मंटो की बात रहा हूँ। 1912 में अविभाजित पंजाब के समराला गाँव में उनका जन्म हुआ था. कल अखबार में देखा तो मिला की उनके गाँव में बस एक छोटा-सा पुस्तकालय उनके नाम पर बना है. एक कमरे के इस पुस्तकालय में कुल जमा दो पुस्तकें हैं मंटो साहब की...! वाह रे भारत! जनता के पैसे से नेता लोग अपने स्मारक और बुत तो
बनवा सकते हैं पर एक लेखक का और क्या हस्र हो सकता है...?
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