मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा दोस्तों...
ये ठण्डी हवाएं, ये मीठी छाँव, ये गुलमोहर
कहाँ पाऊंगा ...!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा दोस्तों...?
मुमकिन है ना याद रहे चेहरा तुम्हारा,
मुमकिन है भुला दो तुम नाम हमारा,
पर ये आवाज की लर्जिश, अनकहा-सा रिश्ता,
भूल ना पाऊंगा...!!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा...?
पैरों में लिपटी यादें ज्यूँ तेरी याद
लिपटी रहे मेरी रूह से,
वो नरमो-नाजुक से अहसास, वो लज्जत कहाँ से
लाऊंगा...!!!
मैं तुमसे दूर कहाँ जाऊंगा...?
ये हवा, ये छाँव, ये आवाज, ये अहसास कहाँ से
लाऊंगा...??
क्या कभी दूर जा भी पाऊंगा...???
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें