the dreamer
dreaming en route a better world...!
गुरुवार, 16 अगस्त 2007
तुम...(8)
तुम
बसे मेरे मन में
ज्यूँ ईश्वर का रुप,
पर ये तो मंदिर नहीं...
जहाँ लोग आयें,
सिर झुकाएं...
मांगे दुआ, पूरे हों उनके सपन...
ये तो है मयखाना
जहाँ,
आते हैं उदास पर जाते हैं झूमकर लोग...
पीछे रहा जाते हैं:
कुछ टूटे प्याले,
खाली बोतल,
और,
टूटे सपन...!!!
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