the dreamer
dreaming en route a better world...!
गुरुवार, 26 मार्च 2009
जिंदगी...
जिंदगी!
क्यूं उतर गया तेरा खुमार...
जैसे
शराब का उतरा हो नशा,
या
आख़िरी कश लेकर फेकीं सिगरेट से निकलता हो धुआँ...
किसी काम का नहीं...
कब मुड गयी तू जिंदगी
इन् गुमनाम राहों पर
जिन पर बस गर्द बिछी है
और बिछे हैं गम...
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