the dreamer
dreaming en route a better world...!
शनिवार, 21 जुलाई 2007
तुम...(७)
कितने कम फूल
बचे हैं गुलमोहर के...!
कितनी कम साँसे मेरे पास,
फूल ज्यादा हैं या
साँसे कम, कौन जाने;
बस एक इंतज़ार:
'काश,
लौट आते कहीं से
तुम,
चाहे कोई नया इल्ज़ाम
देने के लिए ही सही...!'
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