बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

जिंदगी की किताब...!

जिंदगी की किताब
आज देखने का अवसर मिला तो
हैरान रह गया,
पीले पड़े, मुड़े-तुडे पन्ने,
आंसुओं के दाग...
मुरझाई पंखुडि़याँ
और दीमक-चटी जगहें
जहाँ कभी लिखा रहा होगा:
'खुशी'...!

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