शब्दों का अर्थ
शब्दों में नहीं होता,
वरना
सभी समझते सबके मन की बात...
ये अर्थ इशारों में भी नहीं होता,
वरना
कुछ भी न रहता अनकहा
दो मन के बीच...
शब्दों का अर्थ
अक्सर खामोशी में भी नहीं होता,
वरना क्या मैं अनसुना रहता...
शब्दों का अर्थ तो
धारा-सा बहता है
मन से मन के बीच,
अगर जुड़ सकें उनके तार:
वही अनदेखे तार जिन्हें
भावना कहती है दुनिया,
जो अर्थ देती है शब्दों को
वरना
ख़ुद-से तो ये शब्द गूंगे हैं...!
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