रविवार, 14 दिसंबर 2008

पहेली...

क्रास वर्ड पहेली-सी बिखरी जिंदगी,
टुकड़े चुनने और
पहेली पूरी करने में गुजरती जिंदगी;
तमाम रेशे उधड चले,
सारे साथी बिछड़ चले,
सारे सपने बिखर गए,
पर लगा हुआ हूँ कि
कभी तो इस पहेली का हल पाऊंगा,
चाहे कितनी भी कोशिश कर ले हराने की
पर देखना जिंदगी, एक दिन
जरूर जीत जाऊँगा मैं...!

कोई टिप्पणी नहीं: