शनिवार, 2 जून 2007

तुम क्या गए

तुम क्या गए,
एक युग चला गया
मुझे छोड़...

तन्हा-से रह गए:
ये मन,
ये राह,
पैरों से लिपटे
ये मोड़...!!!

कोई टिप्पणी नहीं: