जिस पल तुम सामने होती हो
जीवन होता है,
उसके पहले,
उसके बाद,
महज एक शून्य
सांय-सांय सन्नाटा...
अपनी-ही आवाज उन सारे पलों को छूकर आ रही है
जिनमें तुम नहीं थी...!
तुम्हारा होने का सुख,
तुम्हारे न होने की पीड़ा,
अमूल्य निधियाँ हैं ये सब
हृदय के संग्रहालय की...!!!
1 टिप्पणी:
dear sir,
you have conveyed a message which is as vast as the five oceans with unlimited thoughts which doesn't require the words but the emotions, the felings to go deep inside the message conveyed.
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